I am farmer - किसान हूँ




मेहनत से पेट पालता, देश का सम्मान हूँ
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ  |

 

बरसात तुम्हारे लिए, क्या है 
बस बदन भीगने , या बचाने का ज़रिया 
मेरे लिए सौगात है, नई उम्मीद का 
नए दौर का, नयी नयी ताकत का
मेरे फसल के नव तरुण कोपलों के बाहर निकलने का 

 

और सुनो! जिस कीचड से तुम भागते हो
उसमे, मैं चंदन देखता हूं 
खूब लगा उसे, अपना भविष्य सुदृढ़ बनाता हूँ 
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ ||| 

 

सर्दियों में ठिठुरते हुए, तुम रज़ाई की शरण मे
और मैं घुटनों तक, पानी मे 
सब्जी, दाल, अनाज की फसल पकाता हूं 
जो पहुच सके तुम तक और बदले मे 
सिर्फ पगड़ी की शान चाहता हूँ 
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ ||

 

जिस धूप से तुम डर, कमरे की तलाश करते हो 
मैं उसे सुनहरी चादर समझ ओढ़ लेता हूं 
पसीने की चमक मे, रग रग चमक ना उठे जब तक 
मेहनत पूरी नहीं हुई, ये समझ लेता हूं 
और उसी धूप मे माँ (धरती) की गोद मे विश्राम लेता हूं
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ || 

 

आज यही आदमी, दर दर की ठोकरे खा रहा है 
किसान हनन की नीतियों से जुझ रहा है 
पेट भरने वाले, लाठी खा रहा है 
जिगर फिर भी कितना बड़ा है देखो 
मारने वाले को ही, खाना खिला रहा है 
क्या करूँ, सौगंध से बंधा हूं 
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ  !!

 

सरकारी तंत्र जागो 
जय जवान जय किसान कहा था 
अब तो माफी माँगों 
जिस देश मे किसान नहीं, वो देश नहीं 
हमे भी इंसान समझ, मूल्य उचित दो 
क्युकी किसान के साथ साथ मैं भी
बाप हूं, बेटा हूं, और दादा हूं 
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ !!

 

हक की लड़ाई है कोई भीख की गुहार नहीं 
हम धरने पर बेठे है, हाथो मे कोई हथियार  नहीं 
पेट भरने वाले देश भक्त होते है, ग़द्दार नहीं 
हमारी सुध ना ली, तुम भी सच्चे सेवादार नहीं 
मैं बेशक सड़क पर रहूं, पर खुश हूं 
गर्व है खुद पर, मैं किसान हूँ !!

 

भारत माता की जय 
जय जवान, जय किसान 


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