महाकुंभ
महाकुंभ मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में चार प्रमुख तीर्थ स्थलों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है।
महाकुंभ मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में चार प्रमुख तीर्थ स्थलों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है।
यह हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण काव्य और धार्मिक परंपराओं का हिस्सा है, जिसमें लाखों लोग गंगा, यमुन, नर्मदा, गोदावरी, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं।
महाकुंभ का संबंध एक प्राचीन कथा से है, जिसे "देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन" के नाम से जाना जाता है। यह कथा महाभारत और पुराणों में मिलती है।
समुद्र मंथन के दौरान, अमृत (अमरता का nectar) प्राप्त हुआ, जिसे देवताओं और राक्षसों के बीच बांटने का प्रयास किया गया। इस समय, अमृत कलश (घड़ा) गिरने के कारण चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में अमृत की कुछ बूंदें गिरीं। इन स्थानों को पवित्र माना गया और इन जगहों पर महाकुंभ मेला आयोजित करने की परंपरा शुरू हुई।
महाकुंभ मेला एक अवसर होता है जब लोग अपने पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए नदियों में स्नान करते हैं, और यह अवसर विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो जीवन में एक बार इसे अनुभव करना चाहते हैं।
महाकुंभ में, साधु-संतों की उपस्थिति और भव्य धार्मिक अनुष्ठान इस मेले को विशेष बनाते हैं। यह मेला केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जहां लोग विभिन्न धार्मिक विचारों, परंपराओं और संस्कृतियों का आदान-प्रदान करते हैं।
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