Old Pension Scheme Poem पुरानी पेंशन पर एक कविता

OPS - Old pesion scheme 

रेल को समर्पित जीवन आज पुकारती है
हो रहे बारंबार अत्याचार को ये आवाज ललकारती है |
खैरात नहीं, जो कर्ज़ का दान ले लें 
OPS हमारे मेहनत का है एक अंश 
जीवन मे उत्साह का सृजन जो करवाती है ||
रेल को समर्पित जीवन आज पुकारती है 

जिस तरह सूर्य लाल होता है 
तप्त दहकती अग्नि लाल होती है 
NRMU भी बुलंद हुंकार मे लाल सलाम कहती है 
संभल जाओ, सत्ता के मद मे चूर रहने वालों 
ये लाल रंग, हर घमंड रूपी लोहे को पिघलाती है |
रेल को समर्पित जीवन आज पुकारती है 
OPS हमारे मेहनत का है एक अंश 
जीवन मे उत्साह का सृजन जो करवाती है ||

कर्ज़ लेकर त्योहार मनाने की बात भी कहना शर्मनाक है 
मजदूरों का हक़ ना देना, दर्दनाक है 
Corona के नाम पर बहुत कुछ सह लिया हमने 
NRMU का झंडा पकड़ खड़े है आक्रोश मे 
देखते है OPS सत्ता कब तक रोक पाती है 
रेल को समर्पित जीवन आज पुकारती है 
OPS हमारे मेहनत का है एक अंश 
जीवन मे उत्साह का सृजन जो करवाती है 
रेल को समर्पित जीवन आज पुकारती है 

https://youtu.be/FODLYEn7VRw?si=V54DDQFuj6iqYduU 

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