कबीर का जन्म 15वीं सदी में, जिसे सामंजस्य या सामंजस्य के आस-पास का समय माना जाता है, में हुआ था। वे वाराणसी के पास संत नामक एक छोटे से गाँव में पैदा हुए थे, जहाँ उनके माता-पिता ने उन्हें पाल-पोस किया। कबीर का वास्तविक नाम कासीदास था, लेकिन उनके व्यक्तिगत जीवन की बहुत कम जानकारी है।
कबीर संत रामानंद के शिष्य रहे हैं और उन्होंने अपने जीवन में भक्ति और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अपना समर्थन किया। उनकी कविताएं ब्रजभाषा और अवधी में लिखी गई थीं, और उन्होंने सामाजिक बुराइयों और धार्मिक अंधविश्वासों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
कबीर के उपदेशों में ईश्वरीयता, मानवता, और सर्वधर्म सामंजस्य दिखाई देती है। उनकी दोहे और भजन आज भी लोगों को मार्गदर्शन करने में मदद करते हैं और उनके संदेश विचारशीलता और तात्कालिक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता की भावना से भरे हुए हैं।


