नागराज, अद्वितीय सर्पराज, और महादेव, सर्वशक्तिमान भगवान, के बीच एक अद्वितीय और रहस्यमय कहानी थी। एक समय की बात है, नागलोक में शांति और समृद्धि थी, लेकिन एक दिन नागराज ने एक असीम शक्ति का अहसास किया जिसने उसे अपनी शक्तियों का उपयोग करके सृष्टि को बदलने का इरादा किया।
नागराज ने इस महाशक्ति को रोकने के लिए अपने सर्पसेना के साथ महादेव की शरण में गया। महादेव ने नागराज की पूरी बात सुनी और उन्होंने नागराज को विशेष त्रिशूल दिया, जिसमें अत्यधिक शक्ति थी।
नागराज ने उस त्रिशूल का उपयोग करके वह अद्वितीय शक्ति को शांति से बाधित किया और सृष्टि को सुरक्षित रखा। महादेव ने नागराज की वीरता को देखकर उसे आशीर्वाद दिया और उसे अपना आदिष्ठान बताया।
नागराज ने त्रिशूल के साथ अपनी सर्पसेना के साथ नागलोक की शांति और सद्गति की रक्षा की। उसका धर्म और भक्ति महादेव की ओर से स्थापित किया गया और उसे 'नागेश्वर' कहा गया, जो नागों के राजा का अर्थ होता है।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब भगवान की शरण में जाने वाला व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करता है और उसे सच्ची भक्ति की भावना होती है, तो उसे अद्वितीय शक्तियों का सामर्थ्य प्राप्त होता है जिससे वह सृष्टि के लिए शांति और सुरक्षा का स्रोत बनता है।
